राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में सहायक है, बल्कि इसे मरुस्थलीय क्षेत्रों के जीवन का आधार भी माना जाता है। इस वृक्ष का संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी अवैध कटाई एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है। इसी मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए सांचौर के विभिन्न संगठनों ने 29 जनवरी को क्षेत्र बंद का आह्वान किया है।
सांचौर क्षेत्र के पर्यावरणविदों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि खेजड़ी वृक्ष राजस्थान के पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह वृक्ष न केवल भूमि को उपजाऊ बनाए रखता है, बल्कि क्षेत्रीय जीव-जंतुओं के लिए आश्रय और भोजन का स्रोत भी है। इसके बावजूद खेजड़ी की कटाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। प्रशासन और कानून व्यवस्था की ढिलाई के चलते इस मुद्दे पर अब स्थानीय स्तर पर लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

बंद का उद्देश्य खेजड़ी की कटाई पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाने और इसके संरक्षण के लिए सख्त कानून लागू करने की मांग करना है। क्षेत्र के किसान और ग्रामीण भी इस आंदोलन में अपना समर्थन दे रहे हैं, क्योंकि खेजड़ी का वृक्ष कृषि के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है। इसकी जड़ें मिट्टी में नमी बनाए रखती हैं और यह सूखे के समय भी कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करता है।
कल के बंद को लेकर स्थानीय व्यापारी और अन्य संस्थाएं भी अपना समर्थन दे रही हैं। लोगों का मानना है कि खेजड़ी के संरक्षण के बिना भविष्य में जलवायु संकट और गहराएगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और जनजीवन प्रभावित होगा।
सांचौर बंद के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि पर्यावरणीय सुरक्षा केवल सरकारी दायित्व नहीं है, बल्कि हर नागरिक का नैतिक कर्तव्य भी है। यदि खेजड़ी के संरक्षण के लिए त्वरित और ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
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